पिछले कुछ वर्षों के दौरान दुनियां भर में शहद उत्पादन और उसके निर्यात के मामले में तेजी देखि जा रही है। लेकिन, शहद उत्पादन में उपयोग होने वाला सबसे नाजुक चीज मधुमक्खियों के छत्ते का रखरखाव एक सबसे बड़ी समस्या है, जिसके कारण शहद की क्वालिटी प्रभावित होती है। हलाकि भारतीय वैज्ञानिकों ने मधुमक्खी पालकों के लिए एक ऐसा छत्ता तैयार किया है, जो रखरखाव में आसान होने के साथ-साथ शहद की गुणवत्ता बनाए रखने में भी कारगर साबित हो रहा है।
आपको बता दें शहद का दुनियां भर में उत्पादन लगभग 15% सालाना बढ़ रहा है। वैश्विक उत्पादन का लगभग एक तिहाई हिस्सा एशिया का है जो की भविष्य में 15 से 20% तक बढ़ने का अनुमान है। लगभग 15 देश वैश्विक उत्पादन में 90% योगदान देते हैं।
सऊदी नौजवानों को मधुमक्खी पालने की ट्रेनिंग दे रही सरकार
प्रमुख शहद उत्पादक देश चीन भारत मेक्सिको, यूएसए अर्जेंटीना यूक्रेन तुर्की और रूस हैं। अब इसमें सऊदी अरब का भी नाम जुड़ गया है। गौरतलब है की, 2010 के बाद से शहद की औसतन मांग प्रति वर्ष लगभग 19 हजार टन प्रति वर्ष बढ़ी है।
जिसकी आपूर्ति मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए अब सऊदी अरब के असीर क्षेत्र में 160 सऊदी नौजवानों को मधुमक्खी पालने और उसके रख रखाव को लेकर प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है।
एक सऊदी वेबसाइट के अनुसार, प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम एक किंग कॉलेज यूनिवर्सिटी और अरामको कंपनी के सहयोगी से किया जा रहा है। जिसमे रिजाल अल्मा से भी मधुमक्खियों को पलने वाले विशेषग मौजूद है।
इस यूनिवर्सिटी में मधुमक्खियों के शहद के फायदों पर शोध करने वाले संस्थान के हेड डॉ हामिद अली गरामा ने बताया की इस वर्कशॉप में सऊदी अरब के नौजवानों को मधुमक्खि पालन की विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
वही डॉक्टर हामिद अली गरामा ने कहा की फ़िलहाल पहले चरण के दौरान मधुमक्खियों के बुनियादी तौर तरीको को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वही दूसरे चरण में मधुमक्खियों को रख रखाव देख भाल और उसके छत्ते से शहद निकलने जैसे बुनियादी चीजों को लेकर प्रशिक्षण दिया जायेगा।
उन्होंने बताया की सऊदी अरब के असीर क्षेत्र को मधुमक्खि पालने का केंद्र कहा जाता है। और इस जगह पर दुनियां का सबसे अच्छा शहद तैयर किया जा सकता है।