हम हमारी बाल्यावस्था से ही मोगली (Mowgli) की कहानी सुनते आ रहे हैं। इतना ही नहीं अक्सर हम टीवी पर मोगली का कार्टून भी देखते हैं। साथ जंगल, प्राणीयों के साथ रहने वाले से तो कोई भी अंजान नहीं होगा। टार्जन हो या मोगली इन फिल्मों में हम एक इंसान को जानवरों के बीच रहते हुए देखते हैं। किंतु, यह सिर्फ हमारे दिमाग की कल्पनाएं ही है। किंतु, क्या आपने कभी सच्चे मोगली की कोई कहानी (Real Life Mowgli Story) सुनी है।
एक ऐसा मोगली जो इस दुनिया में आंखें खोलने के बाद से ही जंगलों में रहता है। शायद आप कहेंगे नहीं, तो हम आज आपको एक ऐसे सच्चे मोगली की कहानी बता रहे हैं जो अपने जन्म के बाद से ही युगांडा के जंगलों में जानवरों के बीच रहता है। यह मोगली सालों तक जानवरों के साथ रहने के बाद उनकी तरह ही व्यवहार करने लगा था।

आखिर यह लड़का कौन है और क्यों सालों तक जंगल में ही धूमता रहा
समाज के कई लोगों ने इस मासूम की उपेक्षा भी की थी। मगर इस धरती पर भले लोगों की कोई कमी नहीं है इस प्रकार इस मोगली को भी की लोगों ने सहारा दिया और अब उन सभी की महेनत रंग लाई और अब यह मोगली स्कूल भी जाने लगा है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर यह लड़का कौन है और क्या वजह रही जो वह इतने सालों तक जंगल में ही धूमता रहा, तो चलिए जानते हैं।
युगांडा (Uganda) के जंगलों का मोगली
युगांडा के जंगलों में रहने में ज़ंजीमन एली (Zanziman Ellie) को ‘Real Life Mowgli’ ही माना जाता है, ज़ंजीमन का जन्म साल 1999 में हुआ था। लेकिन ज़ंजीमन का दुर्भाग्य कहें या समाज की क्रुप्रथा क्योंकि एली के इस दुनिया में आते ही कुछ समय के बाद ही उसे उसके समुदाय के अलग कर दिया गया। यही वजह थी कि उसे घने जंगलों में बसेरा करना पड़ा।

मामला कुछ इस प्रकार था की मोगली के उपनाम से जाने जाने वाले एली को जन्म से ही माइक्रोसिफेली नामक एक बीमारी थी। इस बिमारी के लक्षण स्वरुप बच्चे का सिर सामान्य बॉडी के मुकाबले बहुत ही छोटा होता है। जंजीमन के समाज के लोगों ने उससे सहानुभूति की भावना नहीं की और उसे लोगों ने गांव से बाहर कर दिया। जंजीमन को बेआसरा होकर जंगलों को ही अपना घर बनाना पड़ा और वह जंगलों में रहने लगा।
जानवरों को ही मान लिया अपना माता-पिता
ज़ंजीमन को अपने ही समाज के ऐसे व्यवहार से काफी ही दुःख पहुंचा था। उसे मानवजाति से कुछ इस प्रकार नफरत हो गई की उसे इंसानों की शक्ल देखना भी पसंद नहीं था। यहां तक कि ऐली को अपनी मां के हाथ बना खाना भी पसंद नहीं था, और वह जंगल में फल खाकर अपनी भूख मिटा देता था।
परिवार से अलग हो जाने वाले ऐली को जब जंगल में पनाह मिली, तो उसने जानवरों को ही अपना माता-पिता मान लिया। वह पलटकर अपने घर वापस जाना भी नहीं चाहता था और न ही उसे अपने असल माता-पिता से कोई लगाव था, जिसकी वजह से वह कभी भी स्कूलों नहीं जा पाया।

सालों तक जंगल में जानवरों के साथ रहने की वजह से ज़ंजीमन का व्यवहार भी बिल्कुल ही जानवरों के जैसे हो गया था। सालों साल जानवरों के संग और जंगल में बिताने के बाद अब उसके हाव भाव और रहन सहन भी असामान्य हो गए थे। उसके माता-पिता ने भी उसे वापस अपने परिवार में लाने का फैसला किया था। किंतु, ज़ंजीमन को घर और परिवार एक कैद की तरह लगता था।
सूट पहनकर स्कूल जाने लगा जंजीमन
कुछ दिनों तक तो वह बार घर से भागकर वापस जंगल में चला जाता था, फिर धीरे धीरे उसने समुदाय के सभी तौर तरीके को सीख लिए। अब ज़ंजीमन एली का काफी बदल चुका है और वह सूट पहनकर अन्य बच्चों की तरह स्कूल भी जाने लगा है।
रवांडा के स्पेशल नीड चाइड वाले स्कूल में एली पढने जाता है। स्कूल में ज़ंजीमन अपने जैसे दूसरे बच्चों के साथ ही सभी एक्टिविटी में हिस्सा भी लेता है और पढ़ाई भी करता है।
वायरल हो रही ज़ंजीमन एली की तस्वीर
इन दिनों सोशल मीडिया पर भी ज़ंजीमन एली की एक तस्वीर जमकर वायरल हो रही है, वह शर्ट पैंट पहने हाथ में कोट लिए नजर आ रहे हैं। यह ज़ंजीमन क यूनिफॉर्म है, जिसमें वह बहुत कूल लग रहे हैं।
अब ज़ंजीमन के माता-पिता भी उसे स्कूल जाता देख काफी खुश है, क्योंकि उन्होने ज़ंजीमन को सामान्य बनाने के लिए काफी मेहनत की थी। अब उन्हें यह भी उम्मीद है कि ज़ंजीमन जल्द ही इस रेयर कंडीशन वाली बीमारी से भी उभर कर अपने परिवार के साथ रहने लगेगा।
इस तरह से बदल गई जिंदगी
अफ्रीमैक्स नामक स्थानीय संस्थान को ज़ंजीमन के बारे में मालूम होने पर उन्होने ज़ंजीमन की जिंदगी के पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई की। इस डॉक्यूमेंट्री को युगांडा समेत कई देशों के लोगो ने देखा और कई स्थानीय लोग और संस्थाएं ज़ंजीमन की मदद करने के लिए आगे आए। इससे पहले भी एक यूट्यूब चैनल पर ज़ंजीमन एली की मोगली लाइफ बताई गई थी।
‘रियल लाइफ मोगली’ का वीडियो यहां देखिये –
इस बात की जानकारी मिलने बाद सभी ने ज़ंजीमन के इलाज और बेहतर जिंदगी के लिए चंदा इकट्ठा करना शुरू किया, ताकि वह भी आम लोगों की तरह ही अपना जीवन जी पाए। कुछ समय बाद स्थानीय लोगों की मदद और चंदे की सहायता से ज़ंजीमन और उसके परिवार की बहुत आर्थिक सहायत हुई और ज़ंजीमन को स्पेशल स्कूल भेजा गया।
वैसे तो ज़ंजीमन के साथ उसके समाज के लोगो ने जो व्यवहार किया वह मानवता के लिये एक कलंक के समान है। क्योंकि किसी भी दोष या फिर कोई खामी के साथ पैदा होने वाले बच्चे को सहकार, प्यार और देखभाल की जरूरत होती है, लेकिन ज़ंजीमन को तो उसके अलग होने की वजह से ही अलग कर दिया गया था।